Fortuner की बत्ती गुल करने मार्केट में जल्द आ रही है Ford Endeavour

Ford Endeavour: भारतीय सड़कों पर दो दशक तक राज करने वाली फोर्ड एंडेवर की कहानी दिलचस्प है। यह सिर्फ एक SUV नहीं थी, बल्कि अमेरिकी ताकत और भारतीय जरूरतों का अनूठा मेल थी। जब 2003 में यह पहली बार भारत आई तो लोग इसके साइज और पावर को देखकर हैरान रह गए थे। आज जब फोर्ड ने भारत से अपना बिजनेस समेट लिया है, तब एंडेवर की यादें और भी गहरी हो गई हैं।

यह SUV उन लोगों की पहली पसंद थी जो बड़ी गाड़ी चाहते थे लेकिन फॉर्च्यूनर जैसी महंगी गाड़ी का बजट नहीं था। एंडेवर ने साबित किया कि अमेरिकी कंपनियां भी भारतीय सड़कों के लिए सही प्रोडक्ट बना सकती हैं।

मजबूती का प्रतीक

एंडेवर का पहला इंप्रेशन ही इसकी मजबूती था। लंबा, चौड़ा और ऊंचा – यह देखने में ही दमदार लगती थी। बॉडी ऑन फ्रेम कंस्ट्रक्शन की वजह से यह वाकई में बहुत मजबूत थी। भारी वजन होने के बावजूद यह किसी भी रफ टेरेन पर आसानी से चल जाती थी।

इसकी ग्राउंड क्लीयरेंस इतनी अच्छी थी कि शहर के खराब रास्ते हों या गांव की कच्ची सड़कें, हर जगह यह अपना दम दिखाती थी। 4WD सिस्टम के साथ यह वाकई में एक ऑल-टेरेन व्हीकल थी। बारिश में जब दूसरी गाड़ियां फंस जाती थीं, तब एंडेवर आराम से निकल जाती थी।

इंजन की दमदार आवाज़

एंडेवर के डीजल इंजन की आवाज़ ही कुछ और थी। शुरुआत में 2.5 लीटर का इंजन मिलता था, बाद में 3.2 लीटर का पावरफुल इंजन भी आया। यह इंजन सिर्फ पावरफुल नहीं था बल्कि टॉर्क भी भरपूर देता था। हाइवे पर इसकी परफॉर्मेंस कमाल की थी।

हालांकि माइलेज के मामले में यह थोड़ी कमजोर थी। शहर में 8-10 kmpl और हाइवे पर 12-14 kmpl का औसत मिलता था। पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के दौर में यह इसकी सबसे बड़ी कमी मानी जाती थी। लेकिन जो लोग इसे खरीदते थे, वे माइलेज से ज्यादा पावर और प्रेस्टीज को तरजीह देते थे।

Ford Endeavour

केबिन में अमेरिकी स्टाइल

एंडेवर के अंदर बैठकर लगता था कि आप किसी अमेरिकी मूवी के सीन में हैं। बड़ी-बड़ी सीटें, वाइड डैशबोर्ड और हैवी-ड्यूटी स्विचेस सब कुछ अमेरिकी स्टाइल में था। तीसरी पंक्ति की सीटें भी मिलती थीं, हालांकि वे बड़े लोगों के लिए उतनी कम्फर्टेबल नहीं थीं।

एयर कंडीशनिंग काफी पावरफुल थी और भारत की गर्मी में भी केबिन को ठंडा रखती थी। लेदर सीट्स, ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन और साउंड सिस्टम जैसे फीचर्स भी मिलते थे। बिल्ड क्वालिटी अच्छी थी और लंबे समय तक चलने के लिए बनी थी।

ऑफ-रोड का बादशाह

एंडेवर की असली ताकत ऑफ-रोड ड्राइविंग में दिखती थी। 4WD सिस्टम, हाई ग्राउंड क्लीयरेंस और मजबूत सस्पेंशन की वजह से यह किसी भी टफ टेरेन को हैंडल कर लेती थी। रिवर क्रॉसिंग, रॉक क्लाइंबिंग या रेत के टीलों पर चढ़ना – हर जगह यह अपना कमाल दिखाती थी।

डिफरेंशियल लॉक और टेरेन मैनेजमेंट सिस्टम जैसे फीचर्स इसे एक सीरियस ऑफ-रोडर बनाते थे। कई एडवेंचर ग्रुप्स और टूरिस्ट्स इसे अपनी पहली पसंद मानते थे। लद्दाख से लेकर राजस्थान के रेगिस्तान तक, हर जगह एंडेवर का डंका बजता था।

मेंटेनेंस की चुनौतियां

एंडेवर की सबसे बड़ी समस्या थी इसकी मेंटेनेंस। स्पेयर पार्ट्स महंगे मिलते थे और हर मैकेनिक इसे सर्विस नहीं कर सकता था। फोर्ड की सर्विस नेटवर्क भी सीमित थी, खासकर छोटे शहरों में। इसकी वजह से कई लोग इसे खरीदने से हिचकिचाते थे।

सर्विसिंग कॉस्ट भी अच्छी-खासी आती थी। इंजन ऑयल, फिल्टर और दूसरे पार्ट्स का खर्च महीने में 3000-5000 रुपए तक हो जाता था। मेजर रिपेयरिंग में तो और भी ज्यादा पैसा लगता था।

प्रतिस्पर्धा में संघर्ष

टोयोटा फॉर्च्यूनर और महिंद्रा स्कॉर्पियो के सामने एंडेवर को काफी संघर्ष करना पड़ा। फॉर्च्यूनर का ब्रांड वैल्यू और रिलायबिलिटी बेहतर थी, जबकि स्कॉर्पियो सस्ती और ज्यादा फ्यूल एफिशिएंट थी। इन दोनों के बीच एंडेवर का पोजिशन थोड़ा कमजोर पड़ता था।

बावजूद इसके, एंडेवर के अपने वफादार फैन्स थे जो इसकी पावर और प्रेजेंस के लिए इसे पसंद करते थे। सेकंड हैंड मार्केट में भी इसकी अच्छी डिमांड रहती थी।

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Ford Endeavour विदाई के बाद का मंजर

2021 में जब फोर्ड ने भारत छोड़ने का फैसला किया तो एंडेवर के मालिकों के सामने बड़ी समस्या आ गई। सर्विस सपोर्ट बंद होने की वजह से अब इसे मेंटेन करना और भी मुश्किल हो गया है। फिर भी कई लोगों के पास आज भी एंडेवर है और वे इसे प्यार से चलाते हैं।

सेकंड हैंड मार्केट में अच्छी कंडीशन की एंडेवर अभी भी 8-15 लाख में मिल जाती है। यह इस बात का सबूत है कि लोग आज भी इसकी कद्र करते हैं।

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